देश में टोल वसूली के लिए फास्टैग का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अब फास्टैग का जमाना भी जा रहा है। और अब जीपीएस(GPS) ट्रैकिंग के जरिए देश में टोल कलेक्शन किया जाएगा। केंद्र सरकार ने नई प्रणाली, सैटेलाइट नेविगेशन टोलिंग सिस्टम का परीक्षण शुरू कर दिया है। इसमें देशभर के 1 लाख से ज्यादा वाहन शामिल हैं।इस संदर्भ में केंद्र सरकार रूस और दक्षिण कोरिया के कुछ विशेषज्ञों की मदद से एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार कर रही है। नई व्यवस्था लागू होने से पहले परिवहन नीति में बदलाव की चर्चा है।
केंद्र सरकार ने नई व्यवस्था को लागू करने के लिए कुछ परीक्षण शुरू किए हैं। इसमें देशभर के 1.37 लाख वाहन शामिल हैं। महाराष्ट्र में 38680, दिल्ली में 29705, उत्तराखंड में 14401, छत्तीसगढ़ में 13592, हिमाचल प्रदेश में 10824 और गोवा में 9112 वाहनों का परीक्षण किया गया।
परिवहन और पर्यटन पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष टीजी वेंकटेश ने संसद में एक रिपोर्ट पेश की। फास्टैग को ऑनलाइन रिचार्ज करते समय कई लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जीपीएस सिस्टम के सक्रिय होने के बाद वाहन मालिकों को इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा। वहीं संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि टोल गेट लगाने से होने वाले खर्च की भी बचत होगी।
जीपीएस तकनीक की मदद से देश भर के टोल प्लाजा पर करोडों यात्रियों को ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी। कोई ट्रैफिक जाम न होने के कारण ईंधन की बचत होगी।यात्रियों के समय की बचत होगी। और गंतव्य तक समय पर पहुंचा जा सकेगा।
Reported By :- Rajesh Soni
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