इन दिनों मुम्बई (Mumbai) की राजनीति में टीपू सुल्तान को लेकर कांग्रेस,शिवसेना और भाजपा में टकराव चरम पर है। दरअसल कांग्रेस के विधायक असलम शेख की वजह से विवाद की शुरूआत हुई । वे मुम्बई के पालक मंत्री भी है। उन्होंने मालाड के एक खेल के मैदान को टीपू सुल्तान नाम देने का जैसे ही एलान किया विवाद की शुरूआत हुई । भाजपा और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सांसद गोपाल शेट्टी की अगुआई में इस मैदान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन भी कर दिया । नतीजन गोपाल शेट्टी के अलावा भाजपा विधायक अतुल भातखलकर , प्रवीण दरेकर के अलावा भाजपा और बजरंग दल के 65 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रदर्शन मालाड में हुआ था लेकिन मामले की गम्भीरता को देखते हुए इन नेताओं को गिरफ्तारी के बाद मुम्बई के चारकोप पुलिस स्टेशन ले जाया गया। इन गिरफ्तारी के इन खबरों के बाद भाजपा और बजरंग दल के कार्यकर्ताओ का चारकोप पुलिस स्टेशन के बाहर जमावड़ा शुरू हो गया । पुलिस को हालात पर काबू पाने के लिए ऐहतियातन SRFF की तैनाती करनी पड़ी। खेल के मैदान को टीपू सुल्तान का नाम दिए जाने से महाराष्ट्र मे काँग्रेस की सहयोगी पार्टी शिवसेना भी नाराज है। क्योंकि वे इस मैदान का नाम महाराणी लक्ष्मीबाई रखना चाहती हैं और इसके लिए उन्होंने बाकायदा बीएमसी में एक प्रस्ताव भी दे रखा है। जबकि कांग्रेस ने तो इस मैदान के लिए रखे जाने का प्रस्ताव भी अभी बीएमसी को नहीं भेजा है। और ना ही इस बावत कलेक्टर आफिस को कोई जानकारी है। क्योंकि नामकरण का सारा वाकया कलेक्टर की जमीन से ही जुड़ा है। कल उद्घाटन भी हो गया और विरोधी भी । जबकि आधिकारिक रूप से अभी खेल के मैदान के मैदान के नाम को बीएमसी की मंजूरी भी नही मिल पाई है। खेल के मैदान को मुसलमानों को खुश करने के लिए टीपू सुल्तान का नाम देना कांग्रेस की राजनीति है। जबकि इसका विरोध करना भाजपा और शिवसेना की राजनीति है। टीपू सुल्तान पर तीनों पार्टियों का बवाल करना उनकी राजनैतिक मजबूरी हो सकती है। लेकिन इस बवाल से आम जनता का क्या फायदा होगा यह बात समझ से परे है।
हितेन्द्र पवार