आदित्य उध्दव ठाकरे ये नाम महाराष्ट्र (Maharashtra) की सियायत में आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। मां रश्मि ठाकरे का लाडला, पिता उद्धव ठाकरे का दुलारा और दादा बालासाहेब ठाकरे का अभिमान । छोटी उम्र में बड़ा कमाल करना अब आदित्य की फितरत बन चुकी है।
ये वो लम्हा था जिसने महाराष्ट्र की राजनीति में नया इतिहास रच दिया ।आदित्य महज 29 साल की उम्र में आदित्य केबिनेट मंत्री बनने वाले राज्य के पहले शख्स बन गए हैं । आज आदित्य 31 साल के हो गए हैं।
आदित्य के चेहरे की मासूमियत उन्हें नेताओ से अलग करती है। लेकिन आदित्य बदलाव के पर्याय बन चुके हैं। इसकी शुरूआत उन्होने अपने घर से ही की ।शायद यही वजह है कि इससे पहले ठाकरे खानदान में जो पहले कभी नहीं हुआ वो अब हो रहा है । शिवसेना के 55 साल के इतिहास में आदित्य चुनाव लड़ने और जीतने वाले पहले शख्स बन गए हैं। बेटा आगे बढ़े तो पिता उद्धव का भी उन्हें साथ मिला । नतीजा उध्दव , ठाकरे खानदान के पहले सीएम बने तो आदित्य , ठाकरे खानदान के पहले मिनिस्टर। वैसे हाजिर जवाबी में आदित्य का कोई जवाब नहीं है ।
सुना आपने जब उनसे पूछ गया कौन है आपका सबसे करीबी कौन मम्मी या पापा। इस पर उनका सटीक जवाब था- मम्मी – पापा । भोले भाले आदित्य जितने हाजिर जवाब हैं उतने वक्त के पाबंद भी ।
युवा सोच उन्हें आम नेताओ से अलग करती है। मुम्बई की नाईट लाइफ़ उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था । जिसे शिवसेना भाजपा की पिछली सरकार ने भले ही नकार दिया हो लेकिन आघाडी सरकार के कैबिनेट ने इसे मंजूरी देकर बदलाव की बयार को आगे बढ़ाया है।
एक दौर था जब आदित्य के दादा मतलब शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे बेजोड़ कार्टूनिस्ट हुआ करते थे। तो पिता ऊध्दव ठाकरे बेहतरीन फोटोग्राफर हैं।लेकिन दोनों से हटकर आदित्य को साहित्य में दिलचस्पी है। दादा और पिता के शौक से अलग आदित्य की सोच भी है। तेजी से बदलाव की सोच। युवा सोच । शायद इसीलिए उध्दव ने उनके लिए युवा सेना बनाई । बतौर युवा सेना प्रमुख आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र को अपने सपनों का महाराष्ट्र बनाने में जुट चुके हैं। पूरी शिद्दत से पूरी ईमानदारी से । जब कोशिश ईमानदार हो तो कामयाबी देर से ही सही मिलती जरूर है ।
Report by : Hitender Pawar
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