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खराब वेंटीलेटर बदले, इसके उपयोग से जा रही है मरीजो की जान…दिल्ली के डॉक्टर करेंगे जांच

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बॉम्बे (Bombay) हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने बुदवार को केंद्र की ओर से महाराष्ट्र को भेजा गए खराब वेंटिलेटरों को लेकर जरूरी टिप्पणीप् यायमूर्ति यायमूर्ति बी.यू. देबडवार और आर.वी. घुगे की पीठ ने कहा कि अगर केंद्र की ओर से महाराष्ट्र को भेजे गए वेंटिलेटर में कोई खराबी हैं तो उसे तुरंत बदला देना चाहिए। कोरोना के मरीजों के लिए ऐसे वेंटिलेटर के उपयोग करने की अनुमति नहीं दे सकते, क्योंकि बड़े पैमाने बनाए गए वेंटिलेटर से मरीज की जान जा सकती।

पिछले हफ्ते राज्य सरकार की ओर से पेश अभियोजक डी.आर काले ने बताया था कि मराठवाड़ा के अस्पतालों को केंद्र की ओर से कम किए गए 100 से ज्यादा वेंटिलेटर खराब है, इसलिए उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। राज्य के आरोपी माना करते हुए केंद्र ने बताया है कि अस्पतालों के कर्मचारी इन उपकरणों को चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। बुधवार को सुनवाई के दौरान काले ने पीठ को बताया कि चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल के विशेषज्ञों ने केंद्र की ओर से दिए गए वेंटिलेटर की जांच की और उनका परिचालन किया।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल के दो बड़े डॉक्टर गुरुवार को औरंगाबाद के अस्पतालों का दौरा करेंगे और इन उपकरणों की जांच भी करेंगे। सिंह ने पीठ को बताया कि अगर वेंटिलेटर में खराबी पाई जाएगी तो इसकी जवाबदारी निर्माता की होगी। यह वेंटिलेटर से किसी की मृत्यु हो जाने जाने का खतरा नहीं है, क्योंकि मराठवाड़ा इलाके के अस्पताल इनका उपयोग नहीं कर रहे हैं।

पीठ ने सिंह का बयान स्वीकार करते हुए कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार खराबी युक्त वेंटिलेटर की आपूर्ति करने वाले उत्पादकों के साथ कड़क होगी।’ पीठ ने कहा कि अगर जरूरत हुई तो वह खराब हुए वेंटिलेटर को वापस करने का आदेश दे सकती है। पीठ ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि खराब हुए वेंटिलेटर को बदलकर नए वेंटिलेटर लगाए जाए।’ पीठ ने दिल्ली के दो डॉक्टरों के दौरे के बाद रिपोर्ट जमा करने के आदेश के साथ मामले को अगली सुनवाई के लिए सात जून तक वक्त लिया है।

बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने केंद्र की ओर से महाराष्ट्र को भेजे गए खराब वेंटिलेटरों को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। न्यायमूर्ति आर.वी. घुगे और न्यायमूर्ति बी.यू. देबडवार की पीठ ने कहा कि अगर केंद्र की ओर से महाराष्ट्र को भेजे गए वेंटिलेटर में से कोई भी खराब हैं, तो उसे बदला जाना चाहिए। कोरोना वायरस के मरीजों के लिए ऐसे वेंटिलेटर का उपयोग करने की अनुमति नहीं दे सकते, क्योंकि बड़े पैमाने पर खराब हुए वेंटीलेटर को दोबारा बनाए जाने पर भी मरीजो की जान जा सकती है।

पिछले सप्ताह राज्य सरकार की ओर से पेश अभियोजक डी.आर काले ने बताया था कि मराठवाड़ा के अस्पतालों को केंद्र की ओर से आपूर्ति किए गए 100 से अधिक वेंटिलेटरों में खराबी है, इसलिए उनका उपयोग नहीं किया जा सकता हैं। राज्य के आरोपों का मनाई करते हुए केंद्र ने बताया है कि अस्पतालों के कर्मचारी इन उपकरणों को चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। बुधवार को सुनवाई के दौरान काले ने पीठ को बताया कि राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल के विशेषज्ञों ने केंद्र की ओर से मुहैया कराए गए वेंटिलेटर की जांच की और उनका परिचालन किया।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल के दो बड़े डॉक्टर गुरुवार को औरंगाबाद के अस्पतालों जायेंगे और इन उपकरणों की जांच करेंगे। सिंह ने पीठ को बताया कि अगर वेंटिलेटर में खराबी पाई जाएगी तो इसकी जवाबदारी निर्माता की होगी। इन वेंटिलेटर से किसी के मृत्यु का खतरा नहीं है, क्योंकि मराठवाड़ा क्षेत्र के अस्पताल इनका उपयोग नहीं कर रहे हैं।

पीठ ने सिंह का बयान स्वीकार करते हुए कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार कमी युक्त वेंटिलेटर की आपूर्ति करने वाले उत्पादकों के साथ कड़क होगी।’ पीठ ने कहा कि अगर जरूरत हुई तो वह खबर वाले वेंटिलेटर को वापस करने का आदेश दे सकती है। पीठ ने कहा, ‘ऐसी समय में यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि खराब वाले वेंटिलेटर को बदलकर नए सही वेंटिलेटर स्थापित करे।’ पीठ ने दिल्ली के दो डॉक्टरों के दौरे के बाद रिपोर्ट जमा करने के आदेश के साथ मामले को अगली सुनवाई के लिए सात जून तक बड़ा दिया।

Report by : Aarti Verma

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